हे प्रिये चलो मैं आज तुम्हे कुछ और ही बात बताता हूँ जिस दुनियाँ में सपने बस्ते हैं उस दुनिया की सैर कराता हूँ ना बंदिश है ना पाबंदी ना तीखी नज़रें हैं दुनियाँ वालों की बस एक मैं हूँ और एक तुम और सपने हैं दिलवालों की उन बागों की शैर करें जहाँ फूल प्यार के खिलतें हैं उस क्षितिज के पास चलें जहाँ ज़मीन आसमान से मिलतें हैं उन झरनों के पास चलें जो संगीत प्यार का सुनाती है उन तारों के पार चलें जो रोज़ हमें बुलाती है कितनी प्यारी है ये दुनियाँ जो की सपनो मे रहती है किसी और की नही यहाँ बस अपनी मर्ज़ी इसमे चलती है प्यारे सचमुच हैं ये सपने क्यूंकी यहीं हम तुमसे मिलते है ये सपना ना जाने कब सच हो बस इंतज़ार इसी का करते हैं
A Traveller's Journey - Blog about my journey.